Hanooman Ai – अभी तक आप चैट, जीपीटी या इसके जैसी बाकी विदेशियों के द्वारा बनाए गए AI Tools का इस्तेमाल कर सोचते होंगे। वाह क्या चीज बनाई है। यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को नए दौर की क्रांति के जैसे माना जा रहा है। जैसे कभी कंप्यूटर या फिर स्मार्टफोन रहे थे लेकिन कंप्यूटर और स्मार्टफोन के मामले में विदेशियों का बोलबाला रहा। आप कहेंगे भई चैट जीपीटी भी तो विदेशी ही है। AI पर भी ज्यादातर काम विदेशों में ही हुआ है।
अब तक। लेकिन चीजें अब बदलने वाली हैं क्योंकि भारत में भी AI पर तहलका मचाने की तैयारी चल रही है और इसमें साथ दे रहे हैं हनुमान जी। चौंक गए। अरे चौंकिए मत। दरअसल मुकेश अंबानी जी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के काम में हाथ डालने जा रहे हैं। दरअसल मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड अगले महीने चैट जीपीटी के जैसा ही AI चैटबॉट हनुमान लाने की तैयारी कर रहे हैं। कंपनी इसके लिए आठ एफिलिएटिड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर काम कर रही है|
जिसे भारत जीपीटी ग्रुप नाम दिया गया है। भारत जीपीटी चार मुख्य क्षेत्रों हेल्थकेयर, गवर्नेंस, फाइनेंशियल सर्विसेज और एजुकेशन में 11 स्थानीय भाषाओं के माध्यम से काम करने वाला मॉडल तैयार कर रही है। आपको बता दें मंगलवार को कंपनी ने एक टेक्नोलॉजी कॉन्फ्रेंस के दौरान यह AI चैटबॉट दिखाया। प्रेजेंटेशन के दौरान दक्षिण भारत के एक मोटरसाइकिल मकैनिक ने अपनी मूल भाषा तमिल में AI बोट के साथ बात की। जबकि एक बैंकर ने हिंदी में टूल के साथ बातचीत की और हैदराबाद की एक डेवलपर ने कंप्यूटर कोड लिखने के लिए इस AI का इस्तेमाल किया। बताया जा रहा है कि यह AI लार्ज लैंग्वेज मॉडल पर काम करता है।
आसान शब्दों में, एलएलएम यानी लार्ज लैंग्वेज मॉडल को समझें तो एलएलएम एक डीप लर्निंग एल्गोरिदम है। इन्हीं बड़े डेटासेट का इस्तेमाल करके ट्रेंड किया गया है, इसलिए इन्हें लार्ज कहा जाता है। यह एल्गोरिदम ट्रांसलेट करने, प्रिडिक्ट करने, स्पीच को टेक्स्ट में कन्वर्ट और बाकी कंटेंट को जनरेट करने में इसे सक्षम बनाता है, जिससे हनुमान के पास स्पीच टू टेक्स्ट कैपेबिलिटी आ जाती है। आपको बता दें, एलएलएम को न्यूरल नेटवर्क के रूप में भी जाना जाता है। यह एक तरह से इंसानी दिमाग से इंस्पायर्ड कंप्यूटिंग सिस्टम है, जिससे सॉफ्टवेयर कोड लिखने जैसे कई मुश्किल कामों के लिए ट्रेंड किया जा सकता है।
यानी भारत में अब हनुमान जी आ गए हैं। वैसे बता दें, आपको मुकेश अंबानी केवल इतने पर ही सीमित नहीं रहने वाले। रिलायंस जियो स्पेसिफिक यूजर्स के लिए कस्टमाइज्ड मॉडल भी तैयार करेगा। जानकारी के अनुसार कंपनी जियो ब्रेन पर भी काम कर रही है, जो लगभग 45 करोड़ कस्टमर्स के नेटवर्क पर इस्तेमाल करने के लिए एक प्लैटफॉर्म होगा। यह इसलिए भी जरूरी है क्योंकि देश के 100 4000000000 की आबादी में लाखों लोग पढ़ या लिख नहीं सकते हैं। आज भी तो देश की एक बड़ी आबादी को कैप्चर करने के लिए रिलायंस अनुमान और जियो ब्रेन भारत में लाने वाली है। जिसके बाद दुनिया चैट जीपीटी जैसे AI टूल्स को हमेशा के लिए भूल जाएगी। और याद रहेंगे तो बस हनुमान।
यह भी पढ़े :-