क्यों डूब गया Polaroid Camera -पोलोराइड फेल क्यों हुआ?

Kuber Morning
reasons why polaroid failed

इंटेंटली फोटो प्रिंट करेने की ज़रूरत क्यों पड़ी?

अगर आपने आज से 10-15 साल पहले किसी स्टूडियो में फोटो खिंचाई होगी तो आपको यह बात तो जरूर पता होगी कि उस वक्त फोटो इंस्टेंट नहीं मिलती थी। फोटोग्राफर कम से कम दो या तीन दिन के बाद आने के लिए कहता था। और अगर आपने कभी पूछा होगा कि भैया थोड़ा जल्दी मिल सकता है क्या, तो उसने जरूर कहा होगा फोटो को लैब में प्रोसेस करने के लिए भेजना पड़ता है। इस तरीके से फोटो बनाने में कम से कम 5 से 10 मिनट का समय लगता था।

अप्रैल 2022 में ना गई चीजें

आपने बहुत से टूरिस्ट को इस तरीके का कैमरा यूज करते हुए देखा होगा और शायद आप में से भी कुछ लोगों ने यूज किया होगा इस कैमरे से इंस्टेंट फोटो प्रिंट होकर बाहर आ जाती है। इसे पोलर इड कैमरा कहते हैं। 1940 में ये कैमरा इतना पॉपुलर हुआ कि यूएस के कैमरा मार्केट का एक बड़ा हिस्सा इसने कवर कर लिया था। लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि इस कैमरे को बनाने वाली कंपनी 2001 में बैंकर हो गई। आज भी आपको इस प्रकार के कैमरा देखने को मिल जाएंगे, लेकिन आप में से बहुत ही कम लोग ऐसे होंगे जो उस कंपनी के बारे में जानते होंगे जिसने इसे बनाया था।

एडविन लैंड और पोलर इड कैमरा की स्टोरी

एडविन लैंड ने अपनी बेटी को फोटो बनाने का प्रोसेस बताया था। उन्होंने बेटी को पूरा प्रोसेस बताया कि नेगेटिव से पॉजिटिव फोटो बनाने का प्रोसेस काफी लंबा होता है। सबसे पहले नेगेटिव को नेगेटिव कैरियर में डाला जाता है और उस पर पफर ब्रश की मदद से डस्ट रिमूव की जाती है। उसके बाद में कैरियर को कैरियर होल्डर में लगाया जाता है और इमेज प फोकस किया जाता है। फिर डार्क रूम में फोटो का डेवलपमेंट होता है। जब फोटो डेवलप हो जाती है तो उसे सुकाया जाता है और ब्लैक एंड वाइट फोटो तैयार होती है। यह पूरा प्रोसेस कम से कम 5 से 10 मिनट तक का समय लेता है।

पोलराइड कॉर्पोरेशन की उत्पत्ति

एडविन लैंड पोलर इड कॉर्पोरेशन के मालिक थे और इस कंपनी को उन्होंने 1937 में स्टार्ट किया था। उनके इनोवेटिव प्रोडक्ट और टेक्नोलॉजी की वजह से पोलर इड कॉर्पोरेशन को बस्टन ग्लोब नाम के एक पॉपुलर न्यूज़पेपर ने जॉगर नट ऑफ इनोवेशन के नाम से डिस्क्राइब किया था। जिसका मतलब होता है अनस्टॉपेबल फोर्स। एडविन लैंड ने पोलराइजर टेक्नोलॉजी पर अपना पेटेंट करवाया था और उनकी कंपनी बेस्ट पोलराइजर टेक्नोलॉजी के लिए जानी जाती थी।

पोलराइड कैमरा की सफलता

पोलराइड कॉर्पोरेशन ने अपनी शुरुआत में पोलराइजर टेक्नोलॉजी के आधार पर कई उत्पाद बनाए, जैसे कि पोलराइजर सनग्लासेस, आर्मी डॉग के लिए 3D मूवीज के लिए प्रोटेक्टिव गॉगल्स, इंफ्रारेड नाइट व्यू डिवाइस, कलर फिल्टर्स, और पेरिस्कोप। उनके उत्पादों को वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान भी आर्मी फोर्सेस के लिए उपयोग किया जाता था। पोलराइड कॉर्पोरेशन की पॉपुलरिटी का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उस वक्त सबसे पॉपुलर कैमरा और फोटोग्राफी कंपनी कोडक भी लोइड कॉर्पोरेशन की कस्टमर थी और बहुत से सामान खरीदती थी।

पोलराइड कैमरा के उत्पाद

पोलराइड कॉर्पोरेशन ने अपनी शुरुआत में पोलराइजर टेक्नोलॉजी बेस्ड कई चीजें बनाईं, जैसे कि पोलराइजर सनग्लासेस, आर्मी डॉग के लिए 3D मूवीज के लिए प्रोटेक्टिव गॉगल्स और भी बहुत कुछ। वर्ल्ड वॉर 2 के टाइम पे भी एडविन लैंड ने आर्मी फोर्सेस के लिए इंफ्रारेड नाइट व्यू डिवाइस, कलर फिल्टर्स और पेरिस्कोप बनाए थे।

पोलराइड कॉर्पोरेशन के गिरने के बाद

पोलराइड कॉर्पोरेशन की बढ़ते व्यापार और कारोबार की वजह से उन्होंने 2001 में बैंकरप्टी प्रोटेक्शन फाइल की। यह कंपनी चैप्टर 11 बैंकरप्टी में गई और अपने पूरे डेट को रिस्ट्रक्चर करके नए सीरे से बिजनेस को शुरू करने का निर्णय लिया। इस प्रोसेस में कंपनी ने क्रेडिटर्स की बातों को भी ध्यान में रखा और उनकी मांगों को पूरा करने का प्रयास किया। इस बाद में पोलर इड कॉर्पोरेशन को प्राइमरी पीडीसी इंक नाम से रीब्रांड किया गया और फिर बाद में पोलराइटन कंपनी रख दिया गया।

पोलराइड कैमरा का अंत

पोलराइड कॉर्पोरेशन का बिजनेस और मार्केट दिन प्रतिदिन कम हो रहा था। तकनीकी उन्नति के बदलते समय की वजह से कंपनी को अपडेट होना चाहिए था, लेकिन वह इसे अडॉप्ट नहीं कर पा रही थी। इसके अलावा मार्केट में इनके बहुत से कंपीटीटर भी थे जो इनसे बेटर परफॉर्म कर रहे थे। अंततः, 2001 में पोलराइड ने अपने बिजनेस को समाप्त करने का निर्णय लिया।

पोलराइड कंपनी की पुनर्जीवित कोशिशें

जब पोलराइड कॉर्पोरेशन के बिजनेस में नीचे जाने के बाद, कंपनी ने कई बदलाव किए। उन्होंने कई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स को बंद कर दिया और हजारों एंप्लॉयज को नौकरी से निकाल दिया। बाद में कंपनी ने रिइन्वेंट करने का निर्णय लिया और 1984 में अपनी पराइड वीडियो टेप के साथ यूएस के इलेक्ट्रॉनिक वीडियो मार्केट में प्रवेश किया। लेकिन इस दौरान उनके बहुत से कंपीटीटर थे जो उनसे बेहतर परफॉर्म कर रहे थे। इसके कारण कंपनी का वीडियो टेप उत्पाद नहीं चला। कंपनी ने अपनी हेल्प के लिए स्कैन कंपनी की सहायता ली और उनको इलेक्ट्रिक आइटम बनाने का लाइसेंस मिला।

यह भी पढ़े :-

Share This Article
Leave a comment